मिन्हाज मर्चेंट का कॉलम:कांग्रेस चाहेगी कि दक्षिणी राज्यों के बाहर भी जीते

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मिन्हाज मर्चेंट, लेखक, प्रकाशक और सम्पादक - Dainik Bhaskar

मिन्हाज मर्चेंट, लेखक, प्रकाशक और सम्पादक

कांग्रेस वर्तमान में तीन राज्यों- कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में सत्ता में है। इनमें भी जून 2024 के बाद हिमाचल उसके हाथ से जा सकता है। छह बागी कांग्रेस विधायकों सहित तीन निर्दलीय विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पहले ही अल्पमत में आ चुकी है।

उपचुनाव के बाद कांग्रेस सरकार को 68 सीटों वाली हिमाचल विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ सकता है। यदि सरकार गिरती है, तो कांग्रेस दो दक्षिणी राज्यों कर्नाटक और तेलंगाना तक सिमटकर रह जाएगी।

उसे उत्तर, पश्चिम और पूर्व के राज्यों की सत्ता से बाहर, एक दक्षिणमुखी पार्टी के रूप में देखा जाएगा। राहुल गांधी का केरल के वायनाड से लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ने का निर्णय भी दक्षिण में कांग्रेस की बढ़ती सहूलियत का हिस्सा है।

उत्तर प्रदेश में अमेठी सीट पर स्मृति ईरानी से राहुल की हार आज भी पार्टी को खटकती है। स्मृति ईरानी उस सीट के प्रति अपनी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता दिखाने के लिए अब अमेठी की स्थायी निवासी बन चुकी हैं, जबकि यह सीट कई दशकों से नेहरू-गांधी परिवार के पास थी।

1980 के दशक के बाद से परिवार के चार सदस्य- संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी- इस सीट पर चुनाव जीते थे। इस बार राहुल फिर अमेठी से मैदान में उतर सकते हैं। रायबरेली का मामला तो और दिलचस्प है।

सोनिया गांधी पांच बार इस सीट पर रहीं लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण वे 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रही हैं। उस सीट पर सोनिया की जगह कौन लेगा? रायबरेली में मतदान 20 मई को होना है। उम्मीदवारों के लिए नामांकन 26 अप्रैल से शुरू होगा। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 3 मई है।

खबरें हैं कि प्रियंका गांधी-वाड्रा को उनकी मां के स्थान पर रायबरेली से मैदान में उतारा जा सकता है- जो कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस द्वारा जीती गई इकलौती सीट थी। ऐसे में भाजपा को सोचना होगा कि प्रियंका के खिलाफ किसी वरिष्ठ नेता को मैदान में उतारें या नहीं।

रायबरेली में ब्राह्मणों, मुसलमानों, ठाकुरों और यादवों की मिली-जुली आबादी है। 9.60 लाख मतदाताओं के साथ यह उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। 2019 में सोनिया ने यहां 5.34 लाख वोटों के साथ 55.80 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया।

लेकिन भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह भी 38.36 प्रतिशत वोट पाने में सफल रहे थे। अगर भाजपा ने सोनिया की अनुपस्थिति में यहां कोई अनुभवी उम्मीदवार खड़ा किया तो यूपी में कांग्रेस की इकलौती सीट भी खतरे में पड़ सकती है।

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के द्वारा जीती गई 52 सीटों में से आधे से अधिक (27) चार दक्षिणी राज्यों से आई थीं : केरल (15), तमिलनाडु (8), तेलंगाना (3) और कर्नाटक (1)। परिसीमन और निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के कारण कांग्रेस को डर है कि नई जनगणना के अनुसार जब जनसंख्या के आधार पर लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ेगी तो इससे उत्तर, पश्चिम और पूर्व में सीटों का अनुपात और बिगड़ जाएगा। इससे कांग्रेस की दक्षिणमुखी रणनीति को दीर्घकालिक चुनावी नुकसान हो सकता है।

हालांकि, उत्तर-दक्षिण विभाजन पैदा करने की पार्टी की कोशिशों को गति नहीं मिली है। लेकिन कांग्रेस क्षेत्रीय स्तर पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए उत्तर भारत के प्रभुत्व का डर जरूर दिखा सकती है। लेकिन यह रणनीति देश के बाकी हिस्सों के मतदाताओं पर प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकती है।

इस बीच, सभी की निगाहें केरल के वायनाड पर हैं, जहां 26 अप्रैल को मतदान होना है। राहुल के सामने सीपीआई की उम्मीदवार एनी राजा मैदान में हैं। वे कोई सामान्य उम्मीदवार नहीं, सीपीआई के महासचिव डेनियल राजा की पत्नी हैं और स्वयं सीपीआई की महिला विंग की महासचिव हैं।

हालांकि सीपीआई विपक्षी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है, लेकिन वामपंथी नेता 2026 के केरल विधानसभा चुनाव से पहले वहां अपनी ताकत आजमाना चाहते हैं। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने राहुल की आलोचना करते हुए दो टूक कहा था कि ‘हमने दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन में एलडीएफ की उम्मीदवार की भागीदारी देखी थी, लेकिन उनके और अन्य वामपंथी नेताओं के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए। क्या तब राहुल नजर आए थे? क्या उन्होंने भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान सीएए के बारे में बात की थी? यह चुप्पी क्यों?’

2024 का लोकसभा चुनाव यह तय करेगा कि राहुल गांधी की दोनों भारत जोड़ो यात्राओं के बाद कांग्रेस पूरे देश में अपना विस्तार करने में सफल रही है या उस पर साउथ-फर्स्ट की नीति अपनाने वाली पार्टी का ठप्पा ही लगा रहेगा?
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

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