एन. रघुरामन का कॉलम:सच्ची खुशी यात्रा के आनंद में है, मंजिल में कम

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

न्यूयॉर्क से मैसाचुसेट्स की राजधानी और अमेरिका के सबसे पुराने शहरों में से एक बोस्टन तक निजी ट्रेन सेवा पर यह मेरी पहली यात्रा थी। ट्रेन में पांच अलग-अलग कारें (बोगियां- जिन्हें भारतीय रेलवे में श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है) हैं- सामान्य, बिजनेस, क्वाइट, कैफे और प्रथम-श्रेणी।

इस देश के किसी भी हिस्से में यात्रा करने के लिए प्रथम सबसे ऊपरी श्रेणी है, जबकि बिजनेस क्लास लैपटॉप चार्जिंग स्टेशनों, टेबल सीटों के साथ बिजनेस टूर पर यात्रा करने वाले अधिकारियों के लिए एक बढ़िया वातावरण प्रदान करता है। यात्री बुकिंग के समय एक छोटा-सा शुल्क देकर टेबल सीटों की सुविधाएं ले सकते हैं।

कैफे कार हमारे देश की पैंट्री की तरह है, लेकिन वह किसी चलायमान स्टार होटल की तरह दिखती है। क्वाइट कार उनके लिए है, जो यात्रा के दौरान चुपचाप झपकी लेना चाहते हैं। यहां तक कि सार्वजनिक घोषणाएं भी उसके यात्रियों को परेशान नहीं करतीं, बशर्ते किसी आपातकालीन स्थिति के दौरान ट्रेन के पायलट को ऐसा करना जरूरी लगे। उसमें लाइब्रेरी जैसा माहौल होता है।

किसी को भी उसमें ऊंची आवाज में बात करने की इजाजत नहीं होती। पिछले कुछ वर्षों में क्वाइट कार ने यात्रियों में खास लोकप्रियता हासिल कर ली है, जो इसे यात्रा करने का सबसे सभ्य तरीका बताते हैं।

ये स्पष्ट रूप से उस समय का परिणाम हैं, जब यात्रियों को मोबाइल फोन पर जोर से बातें करने वाले डिस्टर्ब करते थे। क्वाइट कार में आपको लैपटॉप पर फिल्म देखने की अनुमति केवल तभी दी जाती है, जब आपके पास हेडफोन हों।

ट्रेन निर्धारित समय से पांच मिनट पहले पहुंच गई थी। 45 सेकंड में लोग उतर गए। प्रत्येक ने सुरक्षित और समय पर यात्रा के लिए ट्रेन कंडक्टर को धन्यवाद दिया। कंडक्टर ने ‘धन्यवाद और आपका दिन शुभ हो’ कहकर शुभकामनाएं दीं। अगले एक मिनट में हाउसकीपर्स ने पूरी ट्रेन को साफ कर दिया।

ये और बात है कि अधिकांश डिब्बों का इंटीरियर विमान जैसा था और वहां इस्तेमाल की गई पानी की बोतलों को छोड़कर साफ करने के लिए कुछ नहीं था, क्योंकि यात्रा के दौरान भी अटेंडेंट्स द्वारा कोच को नियमित रूप से साफ किया जाता है।

एक मिनट में नए यात्री ट्रेन में चढ़ गए। उनमें से अधिकांश नियमित यात्री थे और उनके पास छोटे बैग और लैपटॉप थे। वहीं आठ से कम लोग ऐसे थे, जिनके पास मेरी तरह बड़े लगेज थे और हाउसकीपिंग स्टाफ ने उन्हें लगेज सेक्शन में रखवाने में मदद की। डिपार्चर से ठीक पांच सेकंड पहले ट्रेन के दरवाजे बंद हो गए और एक घोषणा के बाद वह समय पर चल दी, जैसा कि हमारे यहां वंदे भारत रेलगाड़ियों में होता है।

लेकिन सबसे बड़ा फर्क तब आया जब ट्रेन चली। ट्रेन के पायलट ने घोषणा करना शुरू कर दिया कि इस समय ट्रेन के बाईं और दाईं ओर क्या है। न्यूयॉर्क के ऊंचे टॉवरों से लेकर, उन टॉवरों पर चमकती तेज धूप और चारों ओर अटलांटिक महासागर तक।

पहली बार यात्रा करने वाले के लिए यह एक निःशुल्क टूर-गाइड था, जिसमें आपको बताया जा रहा था कि आपको अपने मोबाइल फोन के कैमरे (पढ़ें, जीवन के एल्बम) में क्या कैद करना चाहिए और आपको (इस दुनिया में) क्या देखने का मौका नहीं चूकना चाहिए।

यह एकमात्र ऐसा देश है, जहां रेलवे के पास कई ट्रैक (कुछ स्थानों पर 80 ट्रैक) हैं और कई ट्रेनें एक ही दिशा में यात्रा करती हैं। अचानक मुझे बताया गया कि मैं बोस्टन पहुंच चुका हूं, जबकि मुझे पता ही नहीं चला था कि ट्रेन में चार घंटे हो गए थे! ऐसा इसलिए है क्योंकि गाइड (पढ़ें, ईश्वर) ने मुझे यात्रा की प्रक्रिया (जीवन में विकसित होना) में व्यस्त रखा था।

फंडा यह है कि जीवन में तेजी से आगे बढ़ने और मंजिल तक पहुंचने के लिए ईश्वर द्वारा प्रदान की गई पूरी यात्रा का आनंद लेना न चूकें। जीवन के यादगार क्षणों को एकत्र करें और अगली पीढ़ी के लिए उन्हें दोहराएं।

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