चेतन भगत का कॉलम:भारत के मतदाता किस तरह से वोट डालते हैं?

1 week ago 27
चेतन भगत, अंग्रेजी के उपन्यासकार - Dainik Bhaskar

चेतन भगत, अंग्रेजी के उपन्यासकार

भारत के लोग जटिल होते हैं। इसका कारण हमारे यहां पाई जाने वाली संस्कृति, भाषा, धर्म, विचारधारा और आस्था की विविधताएं है। यही कारण है कि भारत के लोग किस तरह से वोट देते हैं, इसे मालूम करने का कोई सीधा-सरल मानदंड तय करना लगभग असंभव है। लेकिन 1.4 अरब की आबादी वाले विविधतापूर्ण देश में भी कुछ पैटर्न उभरकर सामने आ सकते हैं।

चूंकि चुनावी मौसम चरम पर है, और हम सभी 4 जून को घोषित होने वाले परिणामों को जानने के लिए उत्सुक हैं, इसलिए क्यों न यह विश्लेषण करने का प्रयास करें कि भारतीय मतदाताओं के मन में क्या है। इसे जानने के मुख्य मानदंड इस प्रकार हो सकते हैं :

फिक्स्ड वोटर : भारतीय परिवारों का एक बड़ा प्रतिशत ऐतिहासिक रूप से हमेशा एक ही पार्टी को वोट देता आ रहा होता है। ऐसा उस पार्टी की विचारधारा, नेतृत्व या पीढ़ीगत रूप से उसके प्रति जुड़ाव के कारण हो सकता है।

तब इससे फर्क नहीं पड़ता कि उसने कौन-सा उम्मीदवार उतारा है या उसके घोषणा-पत्र में क्या है। इस तरह के फिक्स्ड वोट को बदलने के लिए कड़ी मुहिम चलाने का भी कोई फायदा नहीं है, क्योंकि चाहे कितने ही वॉट्सएप फॉरवर्ड क्यों न देख लें, इस तरह के वोटर अमूमन अपना मन नहीं बदलते।

इसके बावजूद पार्टियां अपने फिक्स्ड वोटरों को हलके में नहीं ले सकतीं। उन्हें उनकी न्यूनतम अपेक्षाओं के अनुरूप बने रहना ही पड़ता है। जैसा कि कहा जाता है, ‘कभी भी अपने समर्थक-आधार को नाराज न करें।’

मजबूत नेता : यह लोकसभा चुनाव है, जो प्रधानमंत्री के चयन का भी माध्यम है। इसलिए इसमें प्रधानमंत्री पद के लिए एक निश्चित चेहरा बहुत मायने रखता है। यकीनन, केवल चेहरा होना ही काफी नहीं है। चेहरा एक व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें कुछ अपेक्षित गुण भी होने चाहिए। इसमें सबसे बड़ा गुण है मजबूती।

भारत के लोग (और दुनिया के भी) एक मजबूत नेता को पसंद करते हैं। इसका आकलन ठोस और साहसिक निर्णय लेने की उसकी क्षमता से किया जाता है। भारत दशकों तक धीमे क्रियान्वयन के दौर से गुजरा है और उसने शीर्ष नेतृत्व में विश्लेषण-क्षमता के अभाव का भी सामना किया है।

इससे भारतीयों में एक मजबूत नेता के प्रति चाहत और बढ़ गई है। किसी नेता के अपनी विचारधारा और पहचान पर मजबूती से टिके रहने से भी उसकी ताकत का प्रदर्शन होता है, फिर भले ही यह सभी नागरिकों को और विशेषकर बुद्धिजीवियों को पसंद न आए। एक मजबूत नेता सुरक्षा और व्यवस्था की भावना भी देता है और सुरक्षित महसूस करने की आवश्यकता अकसर दूसरी चीजों से ज्यादा महत्वपूर्ण साबित हो जाती है।

जनता से जुड़ाव : मजबूती के अलावा एक और गुण जो भारतीयों को पसंद आता है, वह है आम लोगों से जुड़ने की किसी नेता की क्षमता। लोग यह पसंद करते हैं कि कोई नेता मजबूत होने के बावजूद उनके स्तर तक कैसे आ सकता है।

एक ऐसा व्यक्ति, जो उनके त्योहार मना सकता हो, उनके जैसा खाना खा सकता हो और उन्हीं के लहजे में बात कर सकता हो। मजबूती और जनसम्पर्क का यह कॉम्बो एक बड़ी संख्या में वोटरों को अपनी ओर खींचने में सफल रहता है।

पहचान के आधार पर वोट देने वाले : यह वर्ग मुख्य रूप से जाति और धर्म के आधार पर वोट करता है। उसके पास इस बात के अपने ठोस कारण होते हैं कि वे इस तरह से मतदान क्यों करते हैं (खासकर यदि वे वंचित जातियों या अल्पसंख्यक तबके से हों तो)। उनके लिए ऊपर बताए गए दूसरे क्राइटेरिया भी तभी मायने रखते हैं, जब कोई पार्टी उनके जाति/धर्म के मानदंडों को पूरा करने में सक्षम हो।

नीतियों के आधार पर वोट देने वाले : इस तरह के वोटर नीतियों, कार्यक्रमों और प्रशासनिक कुशलता के आधार पर मतदान करते हैं। यह कल्याणकारी योजनाएं हो सकती हैं जैसे मुफ्त या सब्सिडी वाली वस्तुएं। या यह महंगाई, टैक्स, बुनियादी ढांचा, रोजगार, हेल्थकेयर, शिक्षा आदि से सम्बंधित सरकार के निर्णय हो सकते हैं।

इस तरह के मतदाता स्विंग भी कर सकते हैं, इसलिए उन्हें ध्यान में रखकर पार्टियां बेहतर घोषणा-पत्रों, योजनाओं, कार्यक्रमों को प्रस्तुत करती हैं या सरकार के द्वारा किए गए कार्यों का रिपोर्ट कार्ड सामने रखती हैं। भले ही इस तरह के मतदाताओं का प्रतिशत कम हो, लेकिन स्विंग-वोटर होने के कारण वे नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

भारत में लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव शुरू हो चुका है। आप सभी को चुनावी-मौसम की शुभकामनाएं।

एक मजबूत नेता सुरक्षा और व्यवस्था की भावना देता है और सुरक्षित महसूस करने की आवश्यकता अकसर दूसरी चीजों से ज्यादा महत्वपूर्ण साबित हो जाती है। भारतीयों को किसी नेता की आम लोगों से जुड़ने की क्षमता भी पसंद आती है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

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