डेरेक ओ ब्रायन का कॉलम:इंडिया गठबंधन ने नई पारी की सधी हुई शुरुआत की है

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डेरेक ओ ब्रायन लेखक सांसद और राज्यसभा में टीएमसी के नेता हैं - Dainik Bhaskar

डेरेक ओ ब्रायन लेखक सांसद और राज्यसभा में टीएमसी के नेता हैं

जब आपको कोई अप्रत्याशित नायक मिलता है तो इसमें एक तरह का रहस्यमयी जादू होता है। आखिर हम में से कितनों ने टी20 विश्व कप शुरू होने से पहले अनुमान लगाया होगा कि विराट, बुमराह, रोहित जैसे बड़े खिलाड़ियों के साथ ही अक्षर पटेल भी सुर्खियां बटोरेंगे? लेकिन कैरिबियन समुद्र तटों से दूर- दिल्ली में भी एक और अप्रत्याशित नायक सामने आए हैं : अवधेश प्रसाद।

अभी कुछ दिनों पहले तक ज्यादातर लोग यह नाम सुनने पर पूछते- अवधेश कौन? 18वीं लोकसभा के अल्पकालीन उद्घाटन सत्र में मैंने अवधेश प्रसाद को पहली बार लोकसभा में विशेष आगंतुक गैलरी से देखा था। मैं वहां बैठा था और यूपी, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल के 127 नवनिर्वाचित सांसद एक-एक कर शपथ ले रहे थे।

ये समारोह बहुत प्रेडिक्टेबल होता है। प्रोटेम स्पीकर नए सांसद के नाम की घोषणा करते हैं। वे अपनी सीट पर खड़े होते हैं, व्याख्यान-पीठ तक जाते हैं, शपथ पढ़ते हैं और उत्साहपूर्वक एक नारा लगाते हैं (बाद में, इस नारे को रिकॉर्ड से हटा दिया जाता है, क्योंकि नियम इसकी अनुमति नहीं देते)। शपथ पूरी होने के बाद वे पीठासीन अधिकारी से हाथ मिलाते हैं या उन्हें नमस्कार करते हैं। रजिस्टर पर हस्ताक्षर करते हैं। इसके बाद अगले सांसद की बारी आती है।

शपथ ग्रहण के दूसरे और अंतिम दिन लोकसभा में अपराह्न के लगभग 4 बज रहे थे और मैंने पाया कि सदन में 150 से अधिक सांसद नहीं थे। फिर भी जब प्रोटेम स्पीकर ने नाम पुकारा : अवधेश प्रसाद, फैजाबाद, तो समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के सभी सांसदों की पूरी टुकड़ी ने जोरदार जयकार किया।

पहली बार सांसद बने अवधेश खड़े होते हैं। बिना किसी जल्दबाजी के। वे अपनी लाल टोपी ठीक करते हैं, जो आमतौर पर सपा के सदस्यों द्वारा पहनी जाती है। साथी सांसदों की ओर हाथ हिलाते हैं। बगल में बैठे अपने नेता का आभार व्यक्त करते हैं।

संविधान की प्रति उठाते हैं और शपथ लेने आगे बढ़ जाते हैं। ये वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने अयोध्या में एक महत्वपूर्ण जीत हासिल की है, जो फैजाबाद संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। अब लोकसभा की विजिटर्स गैलरी का दृश्य देखें। मेरे बगल में मेरे सहकर्मी और सपा के राज्यसभा संसदीय दल के नेता प्रो. राम गोपाल यादव बैठे हैं।

वे उत्साहपूर्वक मुझे सूचना देते हैं कि अवधेश प्रसाद ने अयोध्या में भाजपा के उम्मीदवार को 54,000 मतों से हराया, जो कि एक बहुत बड़ी जीत है। वे दलित समुदाय से हैं। उनकी जीत इसलिए और भी खास है, क्योंकि यह एक गैर-आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र है।

वे 77 वर्ष के हैं और नौ बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और उसके तुरंत बाद राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1974 में अयोध्या जिले के सोहावल से लड़ा। वे दो भाषाएं जानते हैं।

अगले 24 घंटों में इंडिया गठबंधन के लिए डिप्टी स्पीकर के उम्मीदवार की खोज शुरू हो चुकी थी। इस पद के लिए चार मानदंड सुझाए गए थे :

1) एक शक्तिशाली संदेश देने के लिए कोई एक अनोखा नाम सोचा जाए। 2) अनुभवी राजनीतिज्ञ हों। 3) ऐसे व्यक्ति का चयन किया जाए, जिसके नाम से भाजपा को झटका लगे। 4) 20 से अधिक सांसदों वाली पार्टियों में से किसी एक को चुनें।

टेक्स्ट मैसेज, बातचीत और प्रभावी समन्वय चलने लगे थे। सब तैयार थे। अंत में तय किया गया कि अवधेश प्रसाद डिप्टी स्पीकर के उम्मीदवार होंगे! अनुच्छेद 93 में प्रावधान है कि लोकसभा ‘जितनी जल्दी हो सके’ एक उपसभापति का चुनाव करेगी। लेकिन स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार, 17वीं लोकसभा में उपसभापति का संवैधानिक पद पांच वर्षों (2019-2024) के लिए रिक्त छोड़ दिया गया था। 16वीं लोकसभा के उपसभापति का चुनाव भी 71वें दिन हुआ था। जबकि 13वीं, 14वीं और 15वीं लोकसभा के लिए उपसभापति आठवें दिन चुने गए थे।

बजट सत्र के दौरान इंडिया गठबंधन निश्चित रूप से उपसभापति की नियुक्ति के मुद्दे पर आगे बढ़ेगा। इससे एनडीए बैकफुट पर आ सकता है। क्रिकेट की भाषा में कहें तो इंडिया ने संसद के शुरुआती दिनों में गेंद को बढ़िया टाइमिंग से खेला है और उसका टीम-वर्क साफ दिखाई दिया है। आशा है आगे हमें और अप्रत्याशित नायक मिलेंगे!

अनुच्छेद 93 में प्रावधान है कि लोकसभा ‘जितनी जल्दी हो सके’ एक उपसभापति का चुनाव करेगी। लेकिन इतिहास में पहली बार 17वीं लोकसभा में उपसभापति का संवैधानिक पद पांच वर्षों के लिए रिक्त छोड़ दिया गया था।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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