पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:धर्म व अध्यात्म के जरिए परिवारों में प्रसन्नता ढूंढें

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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar

पं. विजयशंकर मेहता

दुनिया की आबादी में हम भारतीय लगभग 17% हैं। इसी के साथ एक और आंकड़ा चौंकाने वाला है कि पूरी दुनिया में जितने लोग आत्महत्या करते हैं, उसमें से लगभग 17% भारतीय होते हैं। हमारे देश में पग-पग पर मंदिर हैं, कथाएं सुनाई देंगी।

साधु-संत, महात्मा, फकीर... एक ढूंढो, दस मिलेंगे। आत्मिक ज्ञान के कई रास्ते भारत में खुले हैं, फिर भी लोग इतनी बड़ी संख्या में आत्महत्या कर रहे हैं! अगर आप देश भर के समाचारों का आकलन करें तो पता चलेगा कि आत्महत्या के अधिकांश कारण पारिवारिक हैं।

परिवार में माता-पिता, बच्चे और पति-पत्नी, ये त्रिकोण होता है और ये गड़बड़ा रहा है। अब तो हमारे देश में 78% बच्चे मोबाइल देखते हुए खाना खाते हैं। तो ये सवाल बच्चों से नहीं, उनके माता-पिता से पूछा जाना चाहिए कि आखिर आपके घर में ऐसी कौन-सी जीवनशैली उतर आई है कि अवसाद से बचने के लिए मोबाइल का सहारा लेना पड़ रहा है, जबकि मोबाइल ही सबसे ज्यादा चिड़चिड़ा और निरुत्साह बनाता है। समय आ गया है कि धर्म और अध्यात्म के माध्यम से परिवारों में प्रसन्नता ढूंढीं ​जाए।

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