पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:परीक्षा परिणामों के समय बच्चों का खास ध्यान रखें

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पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar

पं. विजयशंकर मेहता

एक बड़ी सुंदर कल्पना की गई है कि ईश्वर चंदन जैसा है और साधु-संत वायु की तरह हैं, जो इसकी सुगंध सब जगह फैलाते हैं। लिखा है, ‘चंदन तरु हरि संत समीरा।’ अब इसे यूं लिया जाए कि माता-पिता चंदन के वृक्ष की तरह हैं और संतानें पवन की तरह। इसलिए माता-पिता संतानों को क्या दे रहे हैं, संतानें वही फैलाएंगी।

खासतौर पर जब बच्चे परीक्षा की तैयारी कर रहे होते हैं। रिजल्ट के समय बच्चे घोर-तनावग्रस्त पाए जाते हैं। ऐसे में माता-पिता बच्चों को इस पैनिक अटैक से बचाने के लिए बातों का प्रयोग करें। परमात्मा, पुचकार, प्रोत्साहन और पुनः परिश्रम के लिए प्रेरित करना।

परिणाम पर हद से ज्यादा ध्यान और प्रतिस्पर्धा के इस दौर में कई माता-पिता अपनी संतानों को खो देते हैं। यह जो परीक्षा का दबाव होता है, यह उनके मस्तिष्क में स्ट्रेस हॉर्मोन्स को रिलीज करता है। उनका मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है, जिसको ब्लैंक हो जाना कहते हैं। अपने बच्चों को योग से और खासतौर पर ध्यान से जोड़िए। मेडिटेशन उनको किसी भी एग्जाम में सफलता के लिए बहुत सहयोगी रहेगा।

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