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- Pt. Vijayshankar Mehta's Column It Is Important To Understand The Role Of A Mother And Its Importance
पं. विजयशंकर मेहता
भारत के परिवारों का केंद्रीय तत्व मां रही है। जननी वो है जो जन्म देती है, लेकिन मां एक पद है। जब हम परिवारों में मां को याद करते हैं तो इसमें सारे रिश्ते आ जाते हैं। आपकी बहन, भाभी, मां हो सकती है। और तो और, एक आयु के बाद पत्नी भी मां की भूमिका में आ जाती है। पर मौजूदा दौर में एक खतरा मंडरा रहा है। कुछ माताएं अपने भीतर की मां को धीरे-धीरे समाप्त कर रही हैं।
स्त्री-पुरुष की होड़ इसकी प्रेरणा बन रही है। और ये भारत के पारिवारिक ढांचे के लिए खतरनाक है। पिछले दिनों विश्वमांगल्य सभा की कुछ महिला पदाधिकारियों से बातचीत हुई। वो एक अभियान में लगी हैं। उनका प्रयास है कि भारत के घरों में जब स्त्रियां मां बनें तो उनकी भी तैयारी होनी चाहिए कि एक मां की क्या भूमिका होती है।
शास्त्रों में अनेक माताओं की चर्चा है, लेकिन चार माताओं की चर्चा से हमें बड़े संकेत मिलते हैं। कुंती ने धर्म स्वरूप पांच पांडव तैयार किए, जबकि जीवन में अभाव था। गांधारी के पास सुविधाएं थीं पर सौ कौरव पैदा किए। कौशल्या ने राम तैयार किए और कैकयी के हाथों रावण तैयार हुआ। अब हम अंतर समझ सकते हैं। मां की भूमिका और उसके महत्व को स्वीकारा जाए।