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- Pt. Vijayshankar Mehta's Column The Month Of Vaishakh Inspires Us To Take Resolutions
पं. विजयशंकर मेहता
आज से, हिंदू पंचांग का दूसरा महीना वैशाख आरंभ हो रहा है। वैसे तो इस माह का बहुत महत्व है पर इस वर्ष अग्नि और तपिश के परिणाम अधिक दिखेंगे, इसलिए ज्योतिषियों के अनुसार हमें वैशाख में जल का संकल्प लेना चाहिए।
नारद जी ने कहा है विद्याओं में वेद, मंत्रों में प्रणव, वृक्षों में कल्प वृक्ष, धेनु में कामधेनु, देवताओं में विष्णु, वर्णों में ब्राह्मण, प्रिय वस्तुओं में प्राण, नदियों में गंगा, तेजों में सूर्य, अस्त्र-शस्त्रों में चक्र, धातुओं में स्वर्ण, वैष्णवों में शिव और रत्नों में कौस्तुभ मणि उत्तम है। उसी प्रकार वैशाख का महीना भी श्रेष्ठ है।
महात्मा लोग कहते हैं कि अगर हम सोए हुए हैं तो कलियुग, जागे हैं तो द्वापर, उठ बैठें तो त्रेता और चल पढ़ें तो सतयुग है। सतयुग की शुुरुआत चैत्र मास से हुई, जो अभी-अभी गुजरा। और त्रेतायुग वैशाख महीने से आरंभ हुआ था। इसलिए यदि उठकर चलने में अड़चन आ रही हो तो कम से कम नींद से जागकर उठ बैठें, वैशाख का महीना यह समझाता है।
अपने कुछ काम खुद करें, वरना आने वाले सालों में एआई के कारण घरों में लगभग 40 से 50% काम रोबोट करते हुए दिखेंगे। सावधान रहिए, वैशाख मास में संकल्प कीजिए कि हम यंत्रों को चलाएंगे। यंत्र हमें नहीं चलाएंगे।