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- Pt. Vijayshankar Mehta's Column If You Want To Stay Sane, It Is Important To Keep Some Distance From The Mobile
पं. विजयशंकर मेहता
इन दो पंक्तियों पर ध्यान दें- ‘सोक सनेहं सयानप थोरा।’ शोक और स्नेह में सयानापन यानी विवेक कम हो जाता है। दूसरी पंक्ति है- ‘भय उचाट बस मन थिर नाहीं।’ भय और उचाट के वश किसी का मन स्थिर नहीं है।
सयानापन और मन की स्थिर स्थिति- ये दोनों हमारे जीवन में रहना चाहिए, लेकिन होता यह है कि दुख और अत्यधिक स्नेह की स्थिति में हम ये परिपक्वता खो देते हैं। फिर जब मन भयभीत या उदास होता है तो हम स्थिर नहीं रहते।
कुछ न कुछ ऊट-पटांग काम में जुट जाते हैं और यदि ये स्थितियां लंबे समय तक मनुष्य के जीवन में उतरें तो वो ‘एसटी, एलटी और डब्ल्यूटी’ का शिकार होता है। एसटी यानी शॉर्ट टैंपर्ड, मतलब जिसे जल्दी गुस्सा आता हो। एलटी मतलब लूज़ टंग, जो अपशब्द कहता हो। और डब्ल्यूटी यानी विदाउट टाइम टेबल, जो समय का दुरुपयोग करता हो।
अब हम तय करें कि हम किस श्रेणी में आते हैं। सयानापन और मन की स्थिरता बचाने के लिए अपने होश पर काम करें। इस समय सबसे बड़ा होश यह है कि सुबह उठने के बाद पंद्रह मिनट तक और सोने से पहले पंद्रह मिनट मोबाइल से मुक्ति पाएं।