एन. रघुरामन का कॉलम:छोटी-छोटी बातें ही रिश्ते को खूबसूरत बनाती हैं

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

न्यूयॉर्क का विश्वप्रसिद्ध सेंट्रल पार्क तेजी से बढ़ते इस शहर में लोगों की मनोरंजन की जरूरतों को पूरा करने के लिए साल 1858 में बनाया गया। इसका मूल उद्देश्य शहरी लोगों को देसी जीवन का अनुभव देना था।

शहरी जीवन के तनाव से दूर प्रकृति के बीच समय बिताने के लिए यह जगह है। प्रति वर्ष 4.2 करोड़ पर्यटकों के साथ सेंट्रल पार्क सबसे अधिक घूमे जाने वाले शहरी पार्कों और सबसे लोकप्रिय स्थलों में से एक है।

पार्क बनने के 164 साल बाद, जब पिछले हफ्ते मैं इस पार्क में गया और दैनिक भास्कर डिजिटल के लिए अपना एक वीडियो रिकॉर्ड किया तो मैंने देखा कि 80 साल के एक दंपति पीछे बेंच पर बैठे हैं। हर दस मिनट बाद, वो बुजुर्ग व्यक्ति अपनी पत्नी से कहते कि बाजू में रखी बास्केट से सैंडविच निकालें।

चार-चार हिस्सों में बारीकी से काटकर, पतली पॉलीथिन में लिपटे सैंडविच अलग-अलग रखे थे। पत्नी उसमें से एक हिस्सा निकालतीं, पॉलीथिन निकालने की कोशिश करतीं, पर नहीं निकाल पाती। फिर वह ये अपने पति को देती, जो कि पॉलीथिन निकालते और बाद में उस छोटे से सैंडविच को भी आधा तोड़कर पत्नी को खिलाते और बाकी खुद खा लेते।

अपने घर से लाए महज दो सैंडविच के साथ वह करीबन 45 मिनट तक ये करते रहे। हर बार जब वह पत्नी को सैंडविच खिलाते, दोनों पास से गुजरने वाले अजनबियों को देखकर खिलखिलाते। इस दंपति को देखकर मुझे बरसों पहले पढ़ी एक कहानी याद आ गई।

हर रविवार को एक युवा जोड़ा कॉलोनी के एक बुजुर्ग जोड़े की कुशलक्षेम और उनकी जरूरतें पूछने के लिए उनके पास चला जाता, क्योंकि वे अकेले थे। उन्होंने उनके यहां जाने और कॉफी पीने का नियम बना लिया। उन्होंने गौर किया कि बुजुर्ग व्यक्ति हर बार, अपनी उम्रदराज पत्नी से कॉफी बनाने के लिए कहते और पत्नी भी हर बार कॉफी की बोतल लाकर उनसे खुलवातीं।

उस यंग कपल ने यह देखा और अगली बार उन बुजुर्ग को एक कॉफी मेकर और बुजुर्ग महिला को बोतल आसानी से खोलने के लिए एक गैजेट लाकर दिया और यह भी सिखाया कि इसे कैसे इस्तेमाल करना है।

अगली बार जब वो आए, तो उन्होंने देखा कि इस बार भी बुजुर्ग अंकल ने पत्नी से कॉफी बनाने के लिए कहा और वो फिर से बोतल खुलवाने पति के पास आईं! वो युवा कपल आश्चर्यचकित रह गए! उन्हें लगा कि वे बुजुर्गवार शायद कॉफी मेकर और उस गैजेट के बारे में भूल गए होंगे, जो उन्होंने गिफ्ट किया था।

पर उनके जवाब ने उन्हें निरुत्तर कर दिया। 85 वर्षीय बुजुर्ग ने कहा, ‘अरे हां! मैं कॉफी मेकर इस्तेमाल कर सकता हूं और बिना कॉफी मेकर के भी खुद के लिए कॉफी बना सकता हूं, पर मैं एेसा नहीं करता क्योंकि मैं चाहता हूं कि मेरी पत्नी को लगे कि मैं अपनी जिंदगी के लिए उन पर निर्भर हूं।

उनमें अभी भी वो कला है, जो मैं नहीं सीख पाया और मेरे जीवन के लिए वह बहुत जरूरी हैं। साथ होना हमारी शादी का मुख्य सूत्र है’। इस बीच पत्नी ने कहा, "मैं खुद भी बोतल खोल सकती हूं और वो भी बिना गैजेट के! पर मैं जाकर उनसे खुलवाती हूं ताकि उन्हें लगे कि वह अभी भी मुझसे ज्यादा ताकतवर हैं और घर के पुरुष हैं।

इससे उन्हें अहसास होता है कि वह हमेशा की तरह मेरे लिए उपयोगी हैं और मैं अभी भी उन पर निर्भर हूं। हमारे पास जीने के लिए बहुत ज्यादा साल नहीं हैं और निकटता और ये साथ ही हमारे लिए सबसे ज्यादा जरूरी है!’

महज ये दिखाने के लिए कि हम कितने अच्छे हैं, कितनी बार हम आत्मनिर्भर या स्वतंत्र होने का प्रयास करते हैं, पर हम ये नहीं सोचते कि हम उन लोगों से छोटी-छोटी खुशियां छीन रहे हैं जो हमारे लिए केवल इतना ही कर सकते हैं?

फंडा यह है कि बात ये नहीं है कि आप क्या कर सकते हैं, असल बात तो ये है कि आप दूसरों को क्या खुशियां दे सकते हैं, जो शायद आपके लिए थोड़ा कुछ ही कर सकते हैं। यकीनन, यही प्यारी और छोटी-छोटी बातें किसी रिश्ते को नायाब और चिरस्थाई बनाती हैं।

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