एन. रघुरामन का कॉलम:फ्यूचर प्रूफ का ताल्लुक सिर्फ इंश्योरेंस से नहीं करिअर से भी है

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

फिल्म जगत में चर्चा है कि अजय देवगन व तबु की फिल्म “औरों में कहां दम था’ इस शुक्रवार को रिलीज नहीं होगी। फिल्मी जानकार रविवार को एक फिल्म पार्टी में ये बात कर रहे थे कि नीरज पांडे की ये म्यूजिकल रोमांस फिल्म 12 जुलाई या 2 अगस्त के लिए टाल दी गई है।

मैं इसकी वजह सुनकर चौंक गया और ये ‘कल्कि 2898 एडी’ की अप्रत्याशित सफलता है, जो कि 1,000 करोड़ के क्लब में शामिल होने जा रही है। प्रभास, अमिताभ, कमल, दीपिका अभिनीत नाग अश्विन की ये फ्यूचरिस्टिक थ्रिलर अच्छी कमाई कर रही है। इसके अलावा हॉलीवुड फिल्म “डेस्पिकेबल मी 4’ भी इसी हफ्ते रिलीज होने वाली है।

वहीं 12 जुलाई को अक्षय कुमार की “सरफिरा’ भी रिलीज हो रही है। ये 2020 में आई सूर्या स्टारर तमिल फिल्म ‘सूरारई पोटरु’ का रीमेक है, जिसका अर्थ है बहादुरों की वीरता को प्रणाम है। ये एयर डेक्कन के संस्थापक जी. आर. गोपीनाथ के जीवन पर आधारित है। स्टारडम में अजय भी अक्षय जितनी अहमियत रखते हैं। फिर भी, फिल्म उद्योग के हित में वे दोनों अपनी फिल्में अलग तारीखों पर रिलीज कर सकते हैं, ताकि ये सुनिश्चित हो कि दोनों की फिल्म को दर्शकों का भरपूर प्यार मिले।

हालांकि मुझे पता नहीं कि ये गपशप सच है या नहीं, फिर भी दिमाग ने इस जानकारी को प्रोसेस किया और जिस तरह फिल्म इंडस्ट्री के पेशेवर ओपनिंग वीक में अपना कलेक्शन पुख्ता करने के लिए हर दृष्टिकोण से कमाई पर चर्चा करते हैं, वो सराहनीय है।

जैसे कोई भी शुक्रवार फिल्म निर्माताओं को क्लीन चिट नहीं दे सकता कि वह अपना दिन केवल एक निर्माता या अभिनेता के लिए फ्री रखेगा, उसी तरह कोई भी करियर यह गारंटी नहीं दे सकता कि उसे आउटसोर्स नहीं किया जाएगा। नैसकॉम का अनुमान है कि अकेले आईटी क्षेत्र में गिग इंडस्ट्री (फ्री-लांस इंडस्ट्री) करोड़ों की हो जाएगी।

आउटसोर्सिंग के अलावा कई नौकरियां पुरानी होती जा रही हैं और एआई उन्हें इतनी तेजी से स्वचालित कर सकता है कि इंसान कभी उसकी बराबरी नहीं कर सकता। अगर ये दशक नई चीजों व विकास के लिए जाना जाता है, तो बड़ी उथल-पुथल के लिए भी याद किया जाएगा। इसलिए करियर को फ्यूचर प्रूफ बनाने की योजना दस साल पहले नहीं बनाई जा सकती।

करियर को आगे बढ़ाने के लिए इसे सबसे कम समय में होना पड़ेगा। और सबसे अच्छा उदाहरण फिर से फिल्म उद्योग से है और वह भी 68 वर्षीय अनिल कपूर का। उन्होंने एक बार कहा था, ‘जब लोगों ने मुझसे कहा कि मैं पिता की भूमिका न निभाऊं, जैसी “एनिमल’ में निभाई, तो मैंने पूछा क्यों?

अगर मैं विविध भूमिकाएं नहीं निभाऊंगा, तो अपनी बहुमुखी प्रतिभा व्यक्त नहीं कर पाऊंगा।’ उन्हें डर है कि अगर वे एक ही तरह के रोल से चिपके रहते हैं, तो अवसर के इंतजार में उन्हें लंबे समय तक बैठे रहना पड़ेगा। इसलिए उन्होंने वो किया, जो उन्हें ऑफर हुआ और जिंदगी में आगे बढ़ गए।

इसी तरह, हमें ऑफिस में, संस्थान के अंदर भी अलग तरह के अवसर मिल सकते हैं, जो हमारे स्किल से भिन्न हो सकते हैं, फिर भी उन्हें अंजाम तक पहुंचा सकते हैं और जो शायद हमें पसंद आए। हमें अपने मार्गदर्शक-सलाहकारों से परामर्श लेना चाहिए कि वे आपके स्किल्स में हो रही प्रगति को मापें और अपना प्रस्ताव बनाकर एचआर के पास जाएं। ऐसा करने का साहस रोजमर्रा के काम में निरंतर सीखने वाली आदतों से आता है।

फंडा यह है कि किसी का भी करियर, किसी भी मोड़ पर दुर्घटना का शिकार हो सकता है, ऐसी अप्रत्याशित घटनाओं से बचने के लिए अपने करिअर के रास्ते को फ्यूचर प्रूफ बनाना जरूरी है और इसमें आगे बढ़ने के लिए नए स्किल सीखते हुए बाजू की सड़क से निकलना होगा।

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