एन. रघुरामन का कॉलम:करिअर में ब्रेक है? फिक्र न करें। नियोक्ता आपकी वापसी चाहते हैं!

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

12 साल पहले अहमदाबाद में रहने वाली वेणु शाह का करिअर अधर में था। इसका उनके प्रदर्शन से लेना-देना नहीं था। बतौर प्रिंसिपल सिविल इंजीनियर वो करिअर में पीक पर थीं, बड़ी टीम संभाल रही थीं और सफलतापूर्वक प्रोजेक्ट्स कर रही थीं। पर हर महिला की तरह, जब मातृत्व ने दस्तक दी तो उन्होंने करिअर से समझौता कर लिया। बेटे के जन्म के बाद उन्होंने सैबेटिकल अवकाश लिया।

बच्चे के लालन-पालन, बुजुर्ग होते माता-पिता और एक के बाद एक आती जिम्मेदारियों को देखकर वेणु दुविधा में थीं कि क्या वो वापस जॉइन कर पाएंगी और काम का वही दबाव झेल पाएंगी। दोबारा नौकरी जॉइन करने के निर्णय को वो टालती रहीं और अचानक उन्होंने देखा कि उस ब्रेक के बाद एक दशक बीत चुका है। वो खामोशी से जिम्मेदारियों का निर्वहन करती रहीं लेकिन सिविल इंजीनियरिंग के अपने ज्ञान को अपग्रेड करने में भी लगी रहीं।

दो साल पहले, जब वेणु का बेटा आठवीं कक्षा में पहुंचा, तभी वह अपने नियोक्ता- मॉट मैक्डॉनल्ड के संपर्क में आईं, अमेरिका में टेक्सस स्थित इस इंजीनियरिंग सॉल्यूशन कंपनी का अहमदाबाद में भी एक दफ्तर है और वे लोग उन्हें उसी ग्रेड और पद पर वापस लेने के लिए जल्दी से मान गए, जिस पर उन्होंने दस साल पहले नौकरी छोड़ी थी। दिलचस्प बात थी कि उन्हें 60 लोगों से ज्यादा की टीम के साथ उसी क्लाइंट के साथ काम करने के लिए कहा गया, जिसके लिए वह एक दशक पहले काम करती थीं।

ये मत सोचें कि ऐसे अवसर सिर्फ महिलाओं के लिए हैं। धर्मेश शाह का उदाहरण लें, वह भी प्रिंसिपल सिविल इंजीनियर हैं और बच्चे की देखभाल के लिए दो साल का ब्रेक लिया था। ये निर्णय आश्चर्य भरा था और कई को यकीन नहीं हुआ। पर पिता होने के नाते उन्हें लगा कि बच्चे की परवरिश उनकी भी जिम्मेदारी है।

मॉट मैक्डॉनल्ड में ग्लोबल डिलीवरी सर्विसेज एंड साउथ एशिया युनिट की एमडी एशले टेलर का कहना है कि वापसी के बाद वह वही जटिल परियोजनाएं संभाल रहे हैं उन्हें सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचा रहे हैं। सोशल साइट पर एशले लिखती हैं, “वापसी करने वालों का स्वागत करना, उन्हें मूल्यवान महसूस कराना व उनकी क्षमताओं का अहसास कराने के लिए उन्हें सपोर्ट देना भी कंपनी के लिए एक अवसर है।’

भर्ती लागत व अच्छी प्रतिभाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें उनके उच्चतम प्रदर्शन पर ले जाने की कीमत दुनियाभर की संस्थाएं समझ रही हैं। चूंकि काम पर वापस लौटने वाले पहले ही देखे-परखे कर्मचारी होते हैं, ऐसे में नियोक्ता उन पर दांव लगाने और सर्विस के लिए पुराने क्लाइंट को सौंपने में आश्वस्त होते हैं।

एशले मानती हैं कि कर्मचारी के ब्रेक लेने के पीछे कई कारण होते हैं, इसमें माता-पिता की देखभाल के अलावा, बीमारी, करियर बदलना, आगे की पढ़ाई, पैरेंटिंग और यहां तक कि काम में थकान भी कारण हैं। कई कंपनियां ब्रेक लेना समस्या के रूप में नहीं देखतीं, वे इसे खोई हुई प्रतिभा को पाने के अवसर के रूप में देख रही हैं। आजकल, एचआर पिछले एक दशक में खो गई प्रतिभाओं को फिर से खोज रहा है।

फिर से उसी कार्यस्थल पर लौटने के लिए, वो भी अगर समान या उच्च पद के साथ आना चाहते हैं तो सबसे पहले अत्यधिक कुशल होना होगा। अपने पूरे करियर में उत्पादक बने रहना होगा, साथ ही संगठन को बहुत अच्छे नोट पर छोड़कर जाना चाहिए, वो भी वैध कारण के साथ, ताकि आप काम पर वापस जा सकें और अपनी दूसरी पारी को संजो सकें।

फंडा यह है कि नियोक्ता बेस्ट कर्मचारी चुनकर उन्हें सहायक व समावेशी कामकाजी माहौल देने में यकीन रखते हैं, यहां तक कि करिअर में ब्रेक लेने वाले कर्मचारियों के लिए भी।

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