एन. रघुरामन का कॉलम:शॉपिंग कार्ट न लौटाने का आपके पास क्या कारण है?

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

"मैं अपनी शॉपिंग कार्ट वापस बेस पर नहीं छोड़ूंगी। मैं ऐसा नहीं कर सकती कि ग्रोसरी का सामान कार में लोड करूं फिर बच्चों को कार में छोड़कर, कार्ट को वापस उसकी तय जगह पर जाकर रखूं। अगर, आपको दिक्कत है तो दफा हो जाएं।’ लॉस एंजेलिस में रहने वाली क्लीनिकल-फॉरेंसिक साइकोलॉजिस्ट लीस्ली डॉबसन के इस टिकटॉक वीडियो को महज चार हफ्तों में 1.3 करोड़ व्यूज मिल चुके हैं।

दर्शकों ने उन पर ‘केरन’ (Karen) होने का आरोप लगाया। ये बोलचाल का शब्द अक्सर मीम्स में मध्यमवर्गीय श्वेत महिलाओं के लिए इस्तेमाल होता है, जो अपने तरीके से चीजें करवाने के लिए अपनी गोरी चमड़ी व वर्ग विशेषाधिकार का इस्तेमाल करती हैं। वीडियो पर एक व्यक्ति ने टिप्पणी की, “ओह, ये आपके लिए शर्मनाक है, कार्ट को अपनी जगह छोड़ना बेसिक मैनर्स हैं।’

दूसरे ने चुटकी ली कि 'कार में बैठकर आप बच्चों को किस तरह के सबक दे रही हैं।' वहीं इससे नाखुश लोगों ने सीधे तौर पर कोसते हुए कहा, ‘एक सभ्य समाज में अपमान झेलने की हकदार’। उनका वीडियो अब शैक्षणिक संस्थानों में शॉपिंग कार्ट थ्योरी बन गया है और लोग नैतिकता और मानवीय सभ्यता में खुद पर काबू न रख पाने की अक्षमता पर बात कर रहे हैं, जो ऐसे ‘गैरजिम्मेदार’ कामों से तय हो रही है।

यह वीडियो का पहला हिस्सा था। जब लीस्ली को लगा कि कई लोगों ने उसके काम को गलत तरीके से लिया तो दो दिन बाद उन्होंने एक नया वीडियो जारी किया, ये भी वायरल हो गया, लेकिन इस बार उनके स्पष्टीकरण पर लोग हमदर्दी जता रहे हैं।

इससे पहले कि मैं बताऊं कि दूसरा वीडियो किस बारे में था, मैं आप सबसे पूछना चाहता हूं कि क्या आप शॉपिंग कार्ट को मॉल के सामने सड़क पर या ट्रॉली को एयरपोर्ट की पार्किंग में छोड़ देते हैं, जिससे गाड़ी पार्क करने वाले दूसरे चालकों को परेशानी होती है या जहां भी ट्रॉली इस्तेमाल करते हैं?

अगर ऐसा है तो क्यों? क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं है कि शॉपिंग कार्ट को एंट्री गेट के पास ले जाकर रख दें, जहां से खरीदार इन्हें लेकर मॉल के अंदर जाते हैं? ये सुविधाएं देने वालों को क्या इसके लिए अलग से आदमी रखना होगा?

अब लीस्ली के दूसरे वीडियो पर बात करते हैं। उन्होंने कहा, अगर आप असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, तो जरूरी हो जाता है कि आप रोड़ा बनने वाले सामाजिक कायदों या उनके जजमेंट को दरकिनार करते हुए अपने अंदर की आवाज पर भरोसा करके खुद की और प्रियजनों की रक्षा करें।

उन्होंने कहा, उनका लक्ष्य ये बताना था कि महिलाओं को कार्ट वापस करने के लिए खुद को या बच्चों को असुरक्षित स्थिति में डालने के लिए मजबूर नहीं होना चाहिए। कुछ आंकड़ों के साथ उन्होंने तर्क किया कि पिछले साल 265 बच्चे अपहृत हुए (बीते दस सालों में सर्वाधिक), इसमें कुछ का अपहरण पार्किंग में कार से हुआ क्योंकि उनकी मां को शॉपिंग कार्ट वापस रखने जाना पड़ा था। सिंगल मॉम होने के नाते कार्ट वापस रखने जाना, मतलब दरिदों को मौका देना। उन्होंने तर्क दिया कि वह अपने 3 और 7 साल के बच्चों के साथ ऐसी कोई घटना होने से रोकने की कोशिश कर रही हैं।

दूसरी ओर, जेकेएफ एयरपोर्ट और कुछ मॉल्स में ट्रॉली को तयशुदा जगह पहुंचाने के लिए 500 रु. (6 डॉलर) तक ले रहे हैं, आप ट्रॉली कहीं भी छोड़ें, वे कर्मचारी भेजकर उसे उठवा लेते हैं। अमेरिकी स्डैंडर्ड के हिसाब से भी ये बहुत ज्यादा पैसा है। इससे उन लोगों के बीच विभाजन पैदा हो गया है जो खर्च कर सकते हैं और जो नहीं कर सकते हैं।

फंडा यह है कि जब हम दूसरों को उनके काम और खुद को अपने इरादों के आधार पर जज करते हैं तो आपको नहीं लगता कि समाज बंटा हुआ रहेगा?

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